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‘जीवन से नहीं खेल सकते, देना होगा मुआवजा’, खांसी के नकली सिरप से 10 बच्चों की मौत मामले पर SC

पीठ ने कहा, ‘आपके अधिकारी लापरवाह पाए गए हैं। उन्हें सतर्क रहना चाहिए। हमें खाद्य व उद्योग विभाग के बारे में कहने के लिए मजबूर नहीं करें। उन्होंने यहां तक कि अपनी ड्यूटी तक नहीं निभाई।’

सुप्रीम कोर्ट ने खांसी की समस्या के उपचार के लिए नकली सिरप से 10 बच्चों की मौत मामले में मुआवजे के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मृतकों के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया था। उधमपुर जिले की इस घटना को लेकर एनएचआरसी के फैसले के खिलाफ जम्मू कश्मीर प्रशासन ने SC में याचिका दायर की थी।

जस्टिस एम. आर. शाह और जस्टिस एम. एम. सुंदरेश ने कहा कि अधिकारी लापरवाह पाए गए और उसे इस मामले में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। पीठ ने कहा, ‘आपके अधिकारी लापरवाह पाए गए हैं। उन्हें सतर्क रहना चाहिए। हमें खाद्य व उद्योग विभाग के बारे में कहने के लिए मजबूर नहीं करें। उन्होंने यहां तक कि अपनी ड्यूटी तक नहीं निभाई। हम नागरिकों के जीवन से नहीं खेल सकते हैं। यह उनका कर्तव्य है कि वे इसकी जांच करें और चीजों की पुष्टि करें।’

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 
SC जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से 3 मार्च, 2021 को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एनएचआरसी के आदेश के खिलाफ उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। उधमपुर की रामनगर तहसील में दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 में नकली कफ सिरप के सेवन से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। 

एनएचआरसी ने प्रशासन को लगाई थी कड़ी फटकार
एनएचआरसी को इस मामले में औषधि विभाग की ओर से प्रक्रियात्मक खामियां मिली थीं। आयोग ने विभाग की ओर से हुई चूक के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन को परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया था। एनएचआरसी इस लापरवाही को लेकर प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही आयोग ने मृतक के परिजनों को तीन-तीन लाख रुपये के मुआवजे की सिफारिश की थी। 

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