गहलोत-पायलट दोनों का कटेगा पत्ता! राजस्थान में पंजाब मॉडल का क्यों जिक्र?

Rajasthan Crisis: वहीं, राजस्थान में पर्दे के पीछे गतिविधियां जारी हैं। गहलोत के तीन विश्वस्तों ने नोटिस के जवाब दे दिए हैं। नोटिस विधायकों के एक बड़े समूह के बगावत करने को लेकर जारी किए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में सोमवार को मतदान के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके चिर प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर उम्मीदवार हैं। पिछले महीने के अंत तक, राजस्थान में कांग्रेस के 82 विधायकों के पार्टी के विधायक दल की आधिकारिक बैठक में शामिल नहीं होने के बाद यह विषय खुल कर सामने आ गया था। वे गहलोत के विश्वस्त शांति धारीवाल के जयपुर स्थित आवास में एक समानांतर बैठक में शामिल हुए थे। गहलोत, तब पार्टी अध्यक्ष चुनाव लड़ने वाले थे। वहीं, गहलोत और पायलट में चल रहे विवाद के बीच ऐसी भी संभावनाएं हैं कि पार्टी पंजाब मॉडल को अपनाते हुए किसी तीसरे नेता को भी मौका दे सकती है।
मालूम हो कि सितंबर महीने की बैठक का आयोजन एक प्रस्ताव पारित करने के लिए किया गया था, ताकि कांग्रेस प्रमुख को गहलोत का उत्तराधिकारी नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया जा सके। गहलोत को लंबे समय से गांधी परिवार का विश्वस्त माना जाता है। बताया जाता है कि पिछले महीने हुए घटनाक्रम से गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा पर कुछ सवाल खड़े हुए हैं। गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ 2020 में बगावत कर चुके पायलट को बदलाव लाए जाने के रूप में देखा जा रहा है। ठीक वैसे ही, जैसा कि थरूर के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष पद के चुनाव में उम्मीदवार बन कर साहस का परिचय दिया है,लेकिन वह वफादार होने का दर्जा हासिल करने में कहीं पीछे छूट जाते हैं।
कांग्रेस के कुछ नेताओं और पर्यवेक्षकों ने इस बात का जिक्र किया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ओर जहां पार्टी खुद में परिवर्तन कर नयापन लाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव प्रचार अभियानों में और राजस्थान की बागडोर संभालने के लिए खुद को सर्वाधिक सक्षम दर्शाने की दौड़ काफी हद तक इस विमर्श से उपजी है कि गांधी परिवार का करीबी कौन है।
गहलोत-पायलट की बजाए तीसरे पर विचार?
कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गांधी परिवार अब गहलोत को मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखने को ज्यादा इच्छुक नहीं है। लेकिन वह पायलट से भी पूरी तरह सहमत नहीं है। इस बात की भी संभावना है कि पार्टी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत या पायलट, दोनों में से किसी के भी नाम पर विचार नहीं करे। ऐसे में यदि कांग्रेस आलाकमान किसी तीसरे शख्स पर विचार करता है तो फिर यह रणनीति पंजाब मॉडल की तरह ही होगी। जहां पर सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर की लड़ाई के बीच चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
अगले साल होने हैं विधानसभा चुनाव
राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी वहां सत्ता में लौटने की पूरी कोशिश कर रही है। कांग्रेस सूत्रों ने यह भी कहा कि भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ गहलोत कई बार शामिल हुए हैं और मुख्यमंत्री के गांधी परिवार के साथ अच्छे संबंध कायम हैं। गहलोत शनिवार को कर्नाटक के बेल्लारी में कांग्रेस की रैली में भी उपस्थित थे। हालांकि, इसके उलट एक विचार यह भी है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल, पायलट के साथ काफी सहज हैं, जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता और खड़गे के गहलोत के साथ अच्छे समीकरण हैं। गहलोत 17-18 अक्टूबर को गुजरात का दौरा करने वाले हैं। वह राज्य में विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। वहीं, राजस्थान में पर्दे के पीछे गतिविधियां जारी हैं। गहलोत के तीन विश्वस्तों–मंत्री धारीवाल, महेश जोशी और पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़–ने उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब दे दिये हैं। नोटिस कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने विधायकों के एक बड़े समूह के बगावत करने को लेकर जारी किए थे। विषय में आगे के कदम पर चर्चा के लिए समिति के जल्द ही बैठक करने की संभावना है।