
Gujarat Election: गुजरात के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने 2021 में जब मुख्यमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया, तो पार्टी ने जातिगत समीकरणों के आधार पर अपने मंत्रिमंडल में उन सभी लोगों को सेट भी किया, जिनके आधार पर 2022 के चुनाव में संदेश दिया जाना था…
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का टिकट कट गया। गुजरात के पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन भाई पटेल का टिकट कट गया। कई पूर्व मंत्रियों का टिकट कटा। और तो और इन सब को मिलाकर तकरीबन तीन दर्जन से ज्यादा तत्कालीन विधायकों के टिकट भाजपा ने काट दिया। कहने को तो गुरुवार को भाजपा ने गुजरात विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के टिकट की घोषणा की, लेकिन हकीकत यही है इसकी पूरी भूमिका 14 महीने पहले ही गांधी नगर से बनाई जाने लगी थी। जब देश के गृह मंत्री अमित शाह और तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी एक निजी कार्यक्रम में मिले थे। उसके बाद भाजपा के गुजरात और केंद्रीय नेताओं ने मिलकर 2022 के चुनावों की नींव तैयार करनी शुरू कर दी। जानकारों का कहना है कि उसके बाद गुरुवार को आई विधानसभा प्रत्याशियों की सूची ने न सिर्फ बड़े-बड़े कद्दावर नेताओं को बहुत करीने से बगैर किसी बगावत के किनारे कर दिया गया, बल्कि नए लोगों को मौका भी दे दिया।
अगस्त 2021 में बदल दी पूरी कैबिनेट
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगस्त 2021 में जब गुजरात में मुख्यमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट को बदलने की सुगबुगाहट शुरू हुई, तो लोगों को एकबारगी लगा कि ऐसा संभव नहीं है। लेकिन सितंबर में अचानक एक नए राजनीतिक प्रयोग करते हुए भाजपा ने गुजरात में अपने न सिर्फ मुख्यमंत्री को बदला, बल्कि पूरी कैबिनेट को बदलकर 2022 में होने वाले विधानसभा के चुनावों को लेकर नए समीकरण साध लिए। गुजरात भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जब सितंबर में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस्तीफा दिया, तो कयास लगाए जाने लगे कि आखिर इतना बड़ा घटनाक्रम शुरू क्यों हुआ। जब तक लोग कुछ समझ पाते कि अचानक गुजरात के बड़े पाटीदार नेता और उपमुख्यमंत्री नितिन भाई पटेल समेत पूरी कैबिनेट को आनन-फानन में बदल दिया गया।
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ओमभाई दवे कहते हैं कि भाजपा को इस बात का अंदाजा था कि बड़े-बड़े नेताओं को अचानक गद्दी से हटा देने के बाद कहीं ऐसा तो नहीं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उसे नुकसान उठाना पड़े। शायद यही वजह रही कि भाजपा ने पाटीदार समुदाय के एक बड़े नेता भूपेंद्र पटेल को पहली बार विधायक बनने के बाद भी प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। वह कहते हैं कि भाजपा ने सितंबर 2021 से ही विधानसभा चुनावों में टिकट के बड़े बदलाव को लेकर पूरी तैयारी करनी शुरू कर दी थी।
गुजरात के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने 2021 में जब मुख्यमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया, तो पार्टी ने जातिगत समीकरणों के आधार पर अपने मंत्रिमंडल में उन सभी लोगों को सेट भी किया, जिनके आधार पर 2022 के चुनाव में संदेश दिया जाना था। राजनीतिक विश्लेषक हरीश भट्ट कहते हैं कि 2017 में जब भाजपा ने सरकार बनाई, तो गुजरात के जातिगत समीकरणों को साधते हुए मंत्रिमंडल का बंटवारा किया। कई अंदरूनी कारणों और आंतरिक सर्वे के बाद जब भाजपा ने 2021 में मुख्यमंत्री से लेकर पूरी कैबिनेट को बदल दिया, तो अंदेशा लगाया जा रहा था कि कहीं ऐसा तो नहीं 2022 में जातिगत समुदायों में नाराजगी हो और इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़े। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने 2021 सितंबर में हुए बड़े फेरबदल के बाद पूरी कैबिनेट को उसी आधार पर तैयार किया, जो कि 2022 के चुनावों में बेहतर परिणाम दे सके।
भाजपा में चुनाव व्यक्ति नहीं, बल्कि कमल का फूल लड़ता है
गुजरात के सियासी जानकारों का कहना है कि सरकार के नुमाइंदे बदलने से ही 2022 में भाजपा की राह आसान होती नहीं दिख रही थी। यही वजह रही कि भाजपा ने सितंबर 2021 में ही मन बना लिया था कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में इस कैबिनेट के बड़े-बड़े दिग्गजों को मैदान से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा करना खासतौर से गुजरात जैसे राजनीतिक प्रयोगशाला वाले राज्य में किसी बड़े राजनीतिक खतरे से कम नहीं था। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उस पर काम करना शुरू कर दिया था। सियासी जानकारों का कहना है कि बीते चौदह महीने के लिए ग्राउंड वर्क और होमवर्क की बदौलत ही गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों से लेकर दर्जनों विधायकों के टिकट काट दिए गए।
गुजरात भाजपा में संगठन की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि भाजपा में प्रत्याशियों का बदलना और न बदलना महत्वपूर्ण बात नहीं होती है। उक्त नेता का कहना है कि 2017 के हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने इसी तरीके का फेरबदल किया और गुजरात में भाजपा की सरकार बनी। 2022 में भी भाजपा ने कुछ अनोखा और अलग नहीं किया है। वह कहते हैं कि भाजपा में चुनाव व्यक्ति नहीं, बल्कि कमल का फूल ही चुनाव लड़ता है और वही मैदान में होता है। उनका कहना है कि जिन वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव न लड़ने के लिए संगठन से गुजारिश की है, उनकी बात का ध्यान रखा गया और उन्हें चुनावी मैदान में नहीं उतारा गया। लेकिन यह सवाल करने पर कि जिन नेताओं को चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है। उनका कहना है कि जो लोग चुनावी मैदान में नहीं उतरे हैं, उनके लिए संगठन ने नई जिम्मेदारियां तय कर दी हैं।